Dilawar Singh

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कुछ अनकही बातें

दुनिया का दस्तूर निराला


जमाने से उम्मीद लगाए बैठे थे 

छाता खोल के बरसात में 

फिर जो बरसात हुई 

छाता भी भीगा, हम भी भीगें

 और भीग गया सारा सामान


 मदद के लिए लगाई आवाज़ 

कोई नहीं आया पास 

 बस दूर से तमाशा देखतें रहें

खुद ही समेटना पडा समान 

कुछ भीगा, कुछ सूखा, कुछ टूटा 


थोड़ी देर में बरसात रुक गई

 फिर समेटा हुआ सामान देखकर 

कुछ लोग करीब आए और बोले 

देखो कितना नुकसान हो गया 

कोई मदद चाहिए हो, तो बता देना।


🙏🙏🙏🙏🙏

दिलावर सिंह 

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6 Comments

बेहतरीन

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kashish

12-Dec-2023 04:11 PM

Very nice

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Sushi saxena

11-Dec-2023 02:12 PM

V nice

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